राम जेठमलानी आज ९५ वर्ष की अवस्था पूरी कर चले गये । अद्भुत प्रतिभाशाली वकील थे , भारत के विधिमंत्री भी रहे ।
उनके बहुत से आलोचकों ने उन पर राष्ट्रद्रोहियों , तस्करों, बलात्कारियों और घोटालेबाजों के मुकदमें लड़ने के आरोप लगाये हैं और कुछ ने तो उनकी मृत्यु पर संतोष व्यक्त किया है । १९५९ में नानावती के प्रसिद्ध मुकदमे से प्रकाश में आये राम जेठमालानी ने बहुत से बदनाम लोगों के मुकदमे लड़े जिनमें हाजी मस्तान जैसे तस्कर, राजीव गाँधी हत्या के षडयंत्रकारी , इंदिरा गाँधी के हत्यारे, अनेकानेक आतंकवादी तक शामिल हैं । यह उनकी क़ाविलियत ही थी कि उन्हें ऐसे मुकदमे मिलते थे । सैयद मोदी हत्याकांड में संजय सिंह की ज़मानत कराने वह लखनऊ भी आये थे ।
केवल १७ वर्ष की आयु में उन्होंने क़ानून की पढ़ाई पूरी कर ली थी और वकालत के लिये निर्धारित २१ वर्ष की आयु में विशेष रियायत ले कर उन्होंने वकालत शुरू की थी ।
केवल १७ वर्ष की आयु में उन्होंने क़ानून की पढ़ाई पूरी कर ली थी और वकालत के लिये निर्धारित २१ वर्ष की आयु में विशेष रियायत ले कर उन्होंने वकालत शुरू की थी ।
मेरा यह निश्चित मत है कि वकालत एक व्यवसाय है जिसकी कुछ मर्यादायें होती हैं ।वकील का काम है कि वह लोगों को बिना किसी भेद भाव के विधिक सेवा प्रदान करे । अगर कोई आतंकी है तो भी उसका केस लड़ने वाला कोई न कोई वकील तो होगा ही , नहीं होगा तो सरकार उसे वकील मुहैया करायेगी ।
कभी किसी डॉक्टर के बारे में भी कहिये कि आतंकियों भ्रष्टों और डकैतों का इलाज करने वाला आज विदा हो गया ।
राजकमल गोस्वामी